भोपाल। भोपाल एक्सप्रेस को पुराने कोच लगाकर ‘उत्कृष्ट’ ट्रेन बनाया जा रहा है। जबकि इस ट्रेन में आधुनिक सुविधा वाले एलएचबी कोच (जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश कंपनी की सहयोग से बनाए गए कोच) लगाने थे। एक महीने के भीतर इस ट्रेन में रिनोवेट करके पुराने कोच लगा दिए जाएंगे। शुरूआत के एक से डेढ़ साल तो इन कोचों को देखना नहीं पड़ेगा, उसके बाद इनकी हालत मौजूदा कोचों से भी खस्ता हो जाएगी और यात्रियों को परेशान होना पड़ेगा। यह इसलिए होगा, क्योंकि जिन कोचों को उत्कृष्ट बनाया जा रहा वे 12 से 20 साल चल चुके हैं। उन्हीं कोचों को निशातपुरा रेल डिब्बा कारखाने में रिनोवेट किया जा रहा है। ये ज्यादा दिन तक नहीं टिकेंगे। इनकी जगह एलएचबी कोच लगाते तो इन्हें कम से कम 12 साल तक देखना नहीं पड़ता।
भोपाल एक्सप्रेस हबीबगंज से हजरत निजामुद्दीन के बीच चलती है। साल 2018 में रेलवे बोर्ड ने इस ट्रेन को अव्वल दर्जे की यात्री सुविधा के लिए मेल व एक्सप्रेस श्रेणी की ट्रेनों में आदर्श माना था। साथ ही इस ट्रेन का उदाहरण देते हुए सभी मंडलों में दो-दो ट्रेनों को आदर्श बनाने के निर्देश दिए थे। इसी ट्रेन को भोपाल दौरे पर आए रेलवे बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने एलएचबी कोच देने की घोषणा की थी। ये सबसे एडवांश तकनीकी (वंदे भारत एक्सप्रेस के कोचों को छोड़कर) पर बनते हैं।
हादसे होने की स्थिति में ये एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते। ये कोच 180 से 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने में सक्षम होते हैं। इन कोचों की और भी कई खासियते हैं। भोपाल एक्सप्रेस को ऐसे कोच मिलने थे। दो बार ऐसे कोचों से तैयार रैक भोपाल भेजे गए थे लेकिन रेलवे सूत्रों की माने तो इन कोचों को पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर जोन के अधिकारियों ने बुलावा लिया और जबलपुर से चलने वाली सोमनाथ एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में लगवा दिए गए। इस तरह भोपाल एक्सप्रेस जैसी आदर्श ट्रेनें रह गई।
भोपाल में आवाज उठाने वाले जनप्रतिनिधि व अफसर नहीं
जबलपुर जोन मुख्यालय है। इसके कारण यहां से चलने वाली ट्रेनों को ज्यादा तवज्जो मिलती है। वहीं प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद भोपाल मंडल से चलने वाली ट्रेनों में यात्री सुविधाओं पर बाद में ध्यान दिया जा रहा है। भोपाल रेल मंडल की मंडल रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति के सदस्य निरंजन वाधवानी का कहना है कि भोपाल में आवाज उठाने वाले जनप्रतिनिधि व रेलवे अफसर नहीं है। इसके कारण कई बार यात्री सुविधाओं में भोपाल पिछड़ जाता है। रेलवे बोर्ड द्वारा भोपाल एक्सप्रेस को आदर्श मानना और उसके बाद बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन की घोषणा के बावजूद उक्त ट्रेन को एलएचबी कोच नहीं मिलना, इसी का नतीजा है।